-बांस नर्सरी, प्लांटेशन और मूल्यवर्धन विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का उद्घाटन
-प्रशिक्षण में देशभर से पहुंचे प्रशिक्षु ले रहे हिस्सा, बांस के व्यवसायिक पहलुओं पर होगी चर्चा
देहरादून: भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान उत्तराखण्ड बांस और फाइबर विकास बोर्ड एवं सर्व कल्याण विकास समिति के संयुक्त तत्वाधान में बांस नर्सरी, प्लांटेशन और मूल्यवर्धन विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान देहरादून में आरंभ हो गया है। प्रशिक्षण में पर्यावरण संरक्षण एवं रोजगार संवर्धन में बांस के बढ़ते उपयोग को व्यवसायिक रूप देने, बांस नर्सरी, प्लांटेशन और मूल्यवर्धन सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में देशभर के विभिन्न राज्यों से प्रशिक्षु एवं टेªनर हिस्सा ले रहे हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद निदेशक भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान डॉ एम मधु ने प्रशिक्षियों से संवाद करते हुए बांस के पर्यावरणीय महत्व पर चर्चा की और इसके माध्यम से आजीविका सृजन के अवसरों पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रशिक्षियों से अनुभवों और ज्ञान को आपस में साझा करने का आह्वान किया ताकि वे एक.दूसरे से सीख सकें और अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकें। उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं और मास्टर ट्रेनर्स को अपनी शुभकामनाएं दी। डॉ मधु ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य बांस के क्षेत्र में ज्ञान और कौशल को बढ़ाना है ताकि प्रशिक्षु अपने- अपने राज्यों में बांस की खेती और इसके व्यवसायिक उपयोग को बढ़ावा दे सकें। डॉ मधु ने कहा की यह आयोजन बांस उद्योग को नया आयाम देने का प्रयास है जो न केवल पर्यावरणीय दृृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा बल्कि यह लोगों को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगा।
कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष पादप विज्ञान विभाग डॉ जेएमएस तोमर ने संस्थान के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान देहरादून जल एवं मृदा संरक्षण के साथ ही बांस के रोपण एवं इसके व्यवसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भी लगातार प्रयास कर रहा है। कहा कि बांस की खेती जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मददगार साबित होती है साथ ही यह मृदा संरक्षण, जल प्रबंधन और जैव विविधता को बनाए रखने में भी सहायक है।
सर्व कल्याण विकास समिति के सचिव अंकित शाह ने बांस नर्सरी की स्थापना, देशभर में व्यवसायिक तौर पर पैदा किए जा रही बांस की प्रजातियों एवं इसके विपणन एवं बाजार की विस्तृत जानकारी प्रशिक्षुओं को दी। वहीं प्रोग्राम मैनेजर बांस एवं रेशा विकास परिषद दिनेश जोशी ने केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा बांस की खेती एवं व्यवायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए संचालित योजनाओं की जानकारी दी।
इससे पहले प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ राजेश कौशल ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहित सभी वक्ताओं का स्वागत कर प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी प्रशिक्षुओं को दी। इस कार्यकम का संचालन डॉ त्रिशा रॉयने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अनुपम बड ने किया।
इस अवसर पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ जे जयप्रकाश,एसएस श्रीमाली, टीएस रावत, राकेश कुमार, संतोषी रावत, अभिषेक पुंडीर और वरुण चैहान मौजूद रहे।