उत्तराखंज में ट्रैकिंग की एक अच्छा स्कोप हैं। यहाँ पर देश-दुनिया से लोग ट्रैकिंग के लिए आते है। जब भी लोग ट्रैकिंग की बात करते हैं तो टूरिस्टों के मन में पहाड़ी इलाके ही सबसे पहले आते हैं, जिसका कारण यहाँ पर बेहतरीन ट्रैकिंग एक्सपीरियंस मिलना है। उत्तराखंड के पहाड़ों पर टूरिस्ट लॉन्ग और शॉर्ट ट्रैकिंग का लुफ्त उठा सकते हैं। वहीं कई ट्रैक तो बहुत ही मुश्किल होते हैं जिने पूरा करने में कई दिन लग जाते हैं। जबकि कई लोग हादसों का शिकार भी हो जाते है। ऐसी को देखते हुए अब सरकार ट्रैकिंग के लिए नियम बनाने वाली है। जिसकी कवायद तेज हो गई है। चलिए जानते हैं क्या है ये नियम…
जानकारी के अनुसार मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में उच्च हिमालयी क्षेत्र में ट्रैकिंग को नियंत्रित किये करने के लिए राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई मानक प्रचालन कार्यविधि (एसओपी) के सम्बन्ध में बैठक हुई। ये बैठक वीडियो कॉंफ़्रेंसिंग के माध्यम से हुई, जिसमें कैम्प कार्यालय हल्द्वानी से आयुक्त दीपक रावत ने भी प्रतिभाग किया। इस बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि ट्रैकिंग क्षेत्र में ट्रैकरों का पंजीकरण अनिवार्य होना चाहिए, ट्रैकिंग संस्था के सदस्यों को नियमित रूप से प्रशिक्षण देने के साथ ही ट्रैकरों के पास जीपीएस सिस्टम, मेडिकल परीक्षण, उपकरण आदि भी होने आवश्यक है इसके अलावा पोर्टल के माध्यम से भी पंजीकरण कराना आवश्यक है।
बताया कि वर्तमान में ट्रैकरों का पूर्ण डाटा उपलब्ध नही हैं। वहीं जो एसओपी बनाई जा रही है सभी के सुझाव लिये जाएं। दूसरी तरफ आयुक्त दीपक रावत ने कुमाऊं मण्डल के ट्रैकरों, ट्रेवल्स एजेंसियों से कहा वे एसओपी के सम्बन्ध में अपने सुझाव आयुक्त कार्यालय हल्द्वानी अथवा नैनीताल मे दे सकते हैं या आयुक्त मेल आईडी में भी सुझाव दे सकते हैं।