देश में हिट एण्ड रन के मामलों के सम्बन्ध में भारतीय न्याय संहिता में प्रस्तावित सजा के को लागू करने को लेकर प्रदेश के परिवहन व्यवसायियों द्वारा हड़ताल की जा रही हैं। इसी के सम्बन्ध में परिवहन सचिव की अध्यक्षता में मंगलवार को प्रदेश के महत्त्वपूर्ण परिवहन संघों के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक हुई। इस बैठक के दौरान परिवहन संघों के पदाधिकारियों ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 में हिट एण्ड रन के मामलों में प्रस्तावित 10 साल की सजा और जुर्माने का विरोध किया गया।
इस दौरान अपनी बाते सामने रख परिवहन व्यवसायियों ने कहा कि वाहन दुर्घटनाओं के कई कारण हैं जैसे खराब सड़कें, चौराहों का उपयुक्त न होना तथा निजी वाहन के चालकों का अप्रशिक्षित होना आदि कई कारण हो सकते हैं। कोई भी वाहन चालक जानबूझ कर कोई दुर्घटना नहीं करता है। अतः इसके लिए इतनी कठोर सजा का प्राविधान करना न्यायसंगत नहीं है। इसके अलावा परिवहन व्यवसायियों ने ये भी कहा कि कई बार दुर्घटना की दशा में छोटे वाहन चालक की अथवा पैदल यात्री की भी गलती होती है, ऐसी दशा में बड़े वाहन का चालक दुर्घटना स्थल पर रूकते हैं तो वो भीड़ की हिंसा का शिकार होने के डर से भाग जाते है।
वहीं बैठक के अध्यक्ष परिवहन सचिव अरविन्द सिंह हयाँकी ने परिवहन व्यवसायियों को इस बात से अवगत कराया कि अभी तक भारतीय न्याय संहिता के प्रश्नगत प्रस्ताव विषयक को लेकर न तो अधिसूचना जारी हुई है और न ही उसे लागू किया गया है। सचिव, परिवहन ने कहा कि उत्तराखण्ड के परिवहन व्यवसायियों में हमेशा अपनी बात को संविधान और कानून सम्मत तरीके से उचित फोरम तक पहुँचाने की स्वस्थ परम्परा विद्यमान रही है, यदि प्रस्तावित कानून पर परिवहन व्यवसायियों अथवा चालकों को किसी प्रकार की आपत्ति है तो वह कानून के दायरे में रहते हुए प्रतीकात्मक तरीके से अपना पक्ष रख सकते हैं उनकी बातों को भारत सरकार तक शीघ्र पहुँचाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि परिवहन व्यवसाय जन सरोकार से जुड़ा हुआ व्यवसाय है, जिसके ठप होने से न केवल लोगों को आवागमन में समस्या उत्पन्न होती है बल्कि आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति भी प्रभावित हो जाती है।