प्रदेश में बजट सत्र शुरू होने वाला है। जिसको लेकर सरकार ने घोषणा की थी कि बजट सत्र गैरसेंण्व के बजाय देहरादून विधानसभा में ही होगा। इसी को लेकर प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोमवार को गाँधी पार्क में अपने साथियों संग मौंन व्रत रखा। बता दे कि यह मौन व्रत वर्तमान सरकार के द्वारा गैरसैंण का अपमान किए जाने एवं देहरादून में बजट सत्र करने को लेकर किया गया। इस दौरान हरीश रावत के साथ उनके साथियों ने देहरादून के गांधी पार्क में महात्मा गांधी बापू की मूर्ति के समक्ष एक घंटे का सांकेतिक मौन व्रत रखा । वही इस मौन व्रत के समापन पर सभी कार्यकर्ताओं ने रघुपति राघव राजा राम भजन गाकर धामी सरकार की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की। वहीं इस मौके पर हरीश रावत ने कहा की यह मौन व्रत गैरसैंण व गैरसैणियत जो उत्तराखण्डियत ही है उसको समर्पित है। उन्होंने बताया कि यह मौन व्रत वर्तमान व्यवस्था द्वारा गैरसैंण की सतत् अवेहलना के विरोध में किया गया है।
हरीश रावत ने कहा कि हिमालयी राज्य की अवधारणा के साथ बने राज्य की सरकार को गैरसैंण में ठंड लग रही है। कहा कि अपनी ही पार्टी की सरकार द्वारा घोषित ग्रीष्मकालीन राजधानी में बजट सत्र का आयोजन न करना, विधानसभा द्वारा पारित संकल्प की भी अवेहलना है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्हीं के कार्यकाल में गैरसैंण में विधानसभा भवन बना, विधानसभा सत्र आयोजित हुए, भविष्य के बजट सत्र गैरसैंण में ही आयोजित होने का संकल्प भी पारित किया गया।
बताया कि उनके इस मौन व्रत का उद्देश्य सरकार को सद्बुद्धि आवे इसकी कामना के साथ एक प्रायश्चित भी है। अब उन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि शायद गैरसैंण में सैकड़ों करोड़ रुपया खर्च कर उन्होंने कोई भूल कर दी हो। कहा कि जन भावना का सही आकलन न कर पाना भी एक भूल ही होती है। वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार लगातार गैरसैंण की अनदेखी कर रही है और गैरसैंण को लेकर उत्तराखंड में व्याप्त चुप्पी से उन्हें अब ऐसा लगने लगा है कि गैरसैंण में यह सारे प्रयास जनभावना का सही आकलन नहीं था। अगर सच में ऐसा है तो उनका यह मौन व्रत एक प्रायश्चित भी है।
इसके अलावा पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा की देहरादून में सरकारी बजट सत्र और गैरसैंण में जन विकास बजट सत्र, जन भावना की अभिव्यक्ति का अभिनव प्रयास है जिसके लिए उत्तराखंड कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगी दलों को बधाई। उन्होंने कहा की यह उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही है की यहां के जनप्रतिनिधियों को कुछ ज्यादा ही ठंड लगती है। यही नही बल्कि ये भी कहा कि हिमाचल, मेघालय और दूसरे पहाड़ी प्रदेशों वाले विधायकों को देहरादून का ऑप्शन नहीं है, नहीं तो उनको भी ठंड लगती, लेकिन उनके भाग्य में 12 महीने शिमला और शिलांग हैं। जिनको इस हिमालयी राज्य पर गर्व है उनको ही ठंड लगती है।
वहीं इसके अलावा हरीश रावत ने बजट सत्र की अवधि को लेकर भी सवाल उठाए कि प्रचंड बहुमत और डबल इंजन के सात साल बाद भी प्रदेश सरकार यदि गैरसैंण में कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों एवं पत्रकारों के लिए मूलभूत व्यवस्थाएं जुटाने में समर्थ नहीं रही तो दोष किसको दिया जाए।