उत्तराखंड में शिक्षक और शिक्षा विभाग दोनों के बीच अपनी मानगो को लेकर आन्दोलन चल रहा था I अब दोनों आमने सामने खड़े है I बता दें कि शिक्षा विभाग ने शिक्षकों, हेडमास्टर और प्रधानाचार्य का अपना प्रभार छोड़ने पर सख्त रुख अपनाने का आदेश दिया है। इसके अलावा विभाग ने बेवजह मांगों के लिए आंदोलनरत शिक्षकों का वेतन रोकने और उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश जारी किया है। इस आदेश के बाद अब प्रदेशभर के शिक्षकों में आक्रोश है। उनका कहना है कि उनकी पदोन्नति और वरिष्ठता को विभाग उलझाए हुए है।
जानकारी के अनुसार बता दें कि पिछले 53 दिनों से प्रदेश के शिक्षक पदोन्नति और यात्रा अवकाश बहाल करने सहित 35 सूत्री मांगों के लिए चरणबद्ध रूप से आंदोलनरत हैं। हालांकि, उनकी कुछ मांगों को विभाग मानने को तैयार है, लेकिन कुछ प्रमुख मांगों विभाग ने अनुमति नही दी है। वहीं इसको लेकर शिक्षकों का कहना है कि उनकी पदोन्नति और वरिष्ठता को विभाग उलझाए हुए है। अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे है। प्रदेश के आंदोलनरत शिक्षकों का प्रभारी प्रधानाचार्य का प्रभार छोड़ दिया है।
जानकारी के मुताबिक अब तक 90 प्रतिशत प्रभारी प्रधानाचार्य प्रभार छोड़ चुके हैं, जो स्कूल की अन्य व्यवस्थाओं को देखने के बजाए अब केवल छात्र-छात्राओं को पढ़ाने का काम करेंगे। अब वह छात्रों को पढ़ाने के अलावा वे किसी अन्य व्यवस्था के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। जिसको देखते हुए शासन एक्शन में आ गया है। शासन ने इन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। शिक्षा महानिदेशक के आदेश के बाद शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने प्रभार छोड़ने वाले शिक्षकों के खिलाफ सभी सीईओ को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
वहीं इसके मद्देनज़र हाईस्कूल और इंटर कालेजों में प्रभारी प्रधानाचार्य का दायित्व छोड़ने से स्कूलों की व्यवस्थाएं बिगड़ रही हैं। ऐसे में विभाग का कहना है कि शिक्षक के प्रभार छोड़ने से शिक्षण प्रभावित होगा। वहीं अगले वर्ष फरवरी-मार्च 2024 में बोर्ड परीक्षाएं प्रस्तावित हैं। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई और बोर्ड परीक्षा भी प्रभावित होगी। यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा। सीमा जौनसारी ने कहा कि राज्य सरकार के अधीन कार्यरत प्रत्येक कार्मिक के लिए लोक सेवक को अपने शासकीय कार्य दायित्वों का निर्वहन करना बाध्यकारी है। यदि कोई शिक्षक कार्मिक अधिकारी सौंपे गये दायित्वों का निर्वहन करने से मना करता है या इसमें बाधक बनता है, तो यह कर्मचारी आचरण नियमावली का सीधा सीधा उल्लंघन होगा।